बहुत ढूंडा कुछ शब्दों को
कुछ कहना था मुझे उनसे
वो आती थी तो हरपल
कुछ कह जाती थी मुझसे ।
मै चाह कर भी कभी
कुछ कह न सका उनसे
जब जब आई वो
नज़रे मिला न सका उनसे ।
कभी ये सुबह कभी ये रात
हर लम्हा जुडा है उनसे
ये वक्त का आना जाना
हर एक चाहत है उनसे ।
आज जीबन के शेष प्रहर में
जब मिल रहा हू उनसे
कैसे कहूँ की हाँ
मैंने प्यार किया है उनसे .......
सैकत
२२.११.२००८
कुछ कहना था मुझे उनसे
वो आती थी तो हरपल
कुछ कह जाती थी मुझसे ।
मै चाह कर भी कभी
कुछ कह न सका उनसे
जब जब आई वो
नज़रे मिला न सका उनसे ।
कभी ये सुबह कभी ये रात
हर लम्हा जुडा है उनसे
ये वक्त का आना जाना
हर एक चाहत है उनसे ।
आज जीबन के शेष प्रहर में
जब मिल रहा हू उनसे
कैसे कहूँ की हाँ
मैंने प्यार किया है उनसे .......
सैकत
२२.११.२००८
1 टिप्पणी:
bahut achhi lagi kavita.
i like it..
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