रविवार, 23 नवंबर 2008

भीड़


भीड़ में अक्सर याद आते है वो
जिन्दगी में तन्हा रह जाते है वो
भीड़ में अक्सर याद आते है वो

छोटी सी इस जिन्दगी में
पल - पल सवार देते है जो
भीड़ में अक्सर याद आते है वो

नाज़ुक बोहत है रिश्ते यहाँ पर
फिर भी उसको निभाते है जो
भीड़ में अक्सर याद आते है वो

हमसे खपा या हम है खपा
समझने न देते है जो
भीड़ में अक्सर याद आते है वो

जिन्दगी के हर सफर में
काटें ही चुनते है जो
भीड़ में अक्सर याद आते है वो

जब भी अँधेरा होता जीबन में
लौ बनकर जलते रहते है जो
भीड़ में अक्सर याद आते है वो

जीबन में हो खुशियाँ ही खुशियाँ
खामोशी से खामोश होते है जो
भीड़ में अक्सर याद आते है वो

सैकत




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