शुक्रवार, 24 अक्तूबर 2008
बहाना
मन्दिर जाने के बहाने
तुझे देखने जाता हूँ मैं
बुत् को देखने के बजाये
तुझे देखता रहता हूँ मैं
क्या गुनाह करता हूँ मैं
गर ये गुनाह है
तो बता मैं क्या करूँ
अभी तो एक बार है
दिल कह्ता है बार बार करूँ
कोई मन्दिर बनाऊं
जहाँ बुत् हो तेरी
मैं पुजारी बन जाऊँ
मंत्र पड़ता रहूँ प्रेम की
लोग कहेंगे ये दीवानगी है
मैं कह्ता हूँ यही बंदगी है
प्रेम पूजा है मेरे जीवन में
और तू पूर्णाहुति है
पूजा की
सैकत
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3 टिप्पणियां:
vry nice sir ...........
bahut achha kaha hai aapne......
it's really nice...keep it up. tomar tola kichu snaps to post korte paro...
just fatafati..kono katha hobe na
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