मोबाईल के सुइच पे टिके रिश्ते
ऑन होते ही इधर हम उधर तुम
सेकडों मील की दूरियां मीत जाती है पल में
ऑन होते ही इधर हम उधर तुम
कितनी पयार भरी बाते हो जाती है झट से
ऑन होते ही इधर हम उधर तुम
कुछ बाते अनकही भी रह जाती है
ऑन होते ही इधर हम उधर तुम
दूर रहकर भी दो दिल मिलते है पलपल
ऑन होते ही इधर हम उधर तुम
ख्वाबो को हकीकत में बदला किया
ऑन होते ही इधर हम उधर तुम
महल से लेकर किला तक बना लिया
ऑन होते ही इधर हम उधर तुम
किसे पता था नॉट रीचेबल भी हो जायेंगे
ऑफ़ होते ही इधर हम उधर तुम
सैकत
शनिवार, 24 जनवरी 2009
सोमवार, 12 जनवरी 2009
सदस्यता लें
संदेश (Atom)